3/16/12

साँई के शिरडी में एक शाम (an evening in Sai's Shirdi) : [Maharashtra-India]


माथे पर  है  तिलक यूं  सजा
है किस्मत खुद तुझ पर सजा  


खोया   है तू क्यूँ   लुटा    लुटा
ना      रुक, ना   थम,  ना सोच
देख पीछे ही है तेरे, जीवन सजा 
एक छन में बूंद टुटा टुटा 

कहाँ कहाँ हम ना ढूंढे तोहे
कहाँ कहाँ हम ना चाहे तोहे
छोड़ा हमने  मोह - माया 
साईं  खुद में तुझको पाया

शिरडी  गजब है तेरी माया
एक अर्थ कों त्यागे है 
 और एक अर्थलोभ में भागे है

ठहर यहीं तू ये चित्रकार
साईं का ही हूँ मैं प्यार
पहले साई चरणों में, अपना शीश नमाऊ मैं |
कैसे शिरडी साई आये, सारा हाल सुनावु मैं ||
साईं  साईं  हर हर साईं  जप रे हर कोई साईं.


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